एक बड़ा ही खूबसूरत गाना अक्सर सुनती हूँ.आपने भी सुना होगा 'कहीं तो ये दिल कहीं मिल नही पाते,कहीं से निकल आये जन्मों के नाते '
ऐसा ही कुछ महसूस हुआ ब्लॉग की दुनिया में आने के बाद .
इससे पहले भी जीवन में कई अच्छे लोग आये किन्तु ब्लोगिंग से जो मुझे क्या मिला बताऊँ?
भावों को सबसे शेअर करने का एक खूबसूरत सशक्त मंच तो यह है ही.इसके अलावा ??????
सब कुछ एक साथ तो नही बता पाऊंगी.एक एक कर बताती जाऊंगी हा हा हा क्या करूं ?ऐसीच हूँ मैं तो
ब्लॉग शुरू होने के बाद ............. अक्सर एक शख्स मुझे मेल करते थे 'अज्ञात' के नाम से.वे मेरी रचनाओं के बारे में ज़िक्र करते थे .प्रोत्साहित करते.लिखते 'इस रचना को पढकर मैं बहुत रोया'.....
मैंने कई बार पूछा 'आप कौन है?अपने बारे में कुछ बताते क्यों नही?
पर वे एक ही जवाब देते 'मैंने आपको ऐसा कभी कुछ नही लिखा जिससे आपके सम्मान को ठेस पहुंचे,फिर इससे क्या फर्क पड़ता है कि मैं कौन हूँ?
'ओ.के. जी '
और ...........एक दिन बेटे ने आ कर बोला -'मम्मी! दिल्ली से कोई फोन है.आपसे बात करना चाहते हैं .'
...................................... अपने ब्लॉग और उनके ही लिखे शब्दों का ज़िक्र उनके मुंह से सुन कर मैं चौंकी.
''अज्ञात ...अज्ञात बोल रहे हैं आप?''
''जी अब तक 'अज्ञात' था किन्तु अब नही रहूँगा.मेरा नाम निर्मल गोयल है जी''- हा हा हा एक ठहाका मारते हुए उन्होंने जवाब दिया.
'आप अपनी बेटी के रिश्ते के लिए लड़का ढूंढ रही हैं मैं उसी विषय में बार करना चाहता हूँ 'गोयल साहब ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा.
''मैं गोस्वामीजी को आपसे हुई सब बात बता दूंगी.हमे समय दीजिये वैसे वो अभी छोटी ही है.हमने सोचा दो चार साल तो इसी में निकल जाते हैं इसलिए तलाश शुरू कर दी थी.इनके रिटायरमेंट से पहले चाहते तो हैं कि शादी हो जाए आगे जैसा इश्वर ने निश्चय किया है......''
पद्म ने न सिर्फ उनके कारोबार,परिवार और लडके के बारे में जानकारी भेजी बल्कि फ़ोटोज़ भी खिंच कर भेज दिए.
गोयल साहब करोल बाग़ के नामी गिरामी बिजनेसमेन तो हैं ही एक अच्छे व्यावहारिक व्यक्ति के रूप में दोनों पिता पुत्र को जाना और माना जाता है.
सब जान कर मैंने एक बार इनकार कर दिया.'सर! हम सर्विस क्लास है.ब्लॉग पढना उसका फेन होना अलग बात है और.......रिश्तेदारी अलग.इसलिए ......''
''जब आपका ब्लॉग पढ़ता था.तब सोचता था एक बार आपसे जरुर मिलूँगा.आज इश्वर ने मुझे मौका दिया है कि आपकी बेटी मेरे घर की बहु बने.....मना मत कीजिये.मेरी छोटी बहिन है आप.मैं जब भी वहां आऊँगा अपनी बहन के घर आऊँगा.सम्राट की मम्मी जब भी आएगी वो अपने बेटे के ससुराल नही अपनी ननद के घर आएगी..............''
और........................ मेरे ब्लॉग के एक प्रशंसक मेरे 'वीर जी' बन गये. बिना किसी दहेज के गोयल साहब अपनी अमानत अपने घर ले गये.अपूर्वा मेरी बेटी ...मेरे घर में सिंड्रेला थी ....मुझे नही मालूम था.आज वो एक उद्योगपति घराने की इकलौती बहु है ससुराल में सबकी लाडली
शायद ही किसी को ब्लोगिंग के बदले यह सब मिला हो.जो मुझे मिला.किसी परी-कथा सा लगता है सब कुछ मुझे.
और आपको???? .
ऐसा ही कुछ महसूस हुआ ब्लॉग की दुनिया में आने के बाद .
इससे पहले भी जीवन में कई अच्छे लोग आये किन्तु ब्लोगिंग से जो मुझे क्या मिला बताऊँ?
भावों को सबसे शेअर करने का एक खूबसूरत सशक्त मंच तो यह है ही.इसके अलावा ??????
सब कुछ एक साथ तो नही बता पाऊंगी.एक एक कर बताती जाऊंगी हा हा हा क्या करूं ?ऐसीच हूँ मैं तो
ब्लॉग शुरू होने के बाद ............. अक्सर एक शख्स मुझे मेल करते थे 'अज्ञात' के नाम से.वे मेरी रचनाओं के बारे में ज़िक्र करते थे .प्रोत्साहित करते.लिखते 'इस रचना को पढकर मैं बहुत रोया'.....
मैंने कई बार पूछा 'आप कौन है?अपने बारे में कुछ बताते क्यों नही?
पर वे एक ही जवाब देते 'मैंने आपको ऐसा कभी कुछ नही लिखा जिससे आपके सम्मान को ठेस पहुंचे,फिर इससे क्या फर्क पड़ता है कि मैं कौन हूँ?
'ओ.के. जी '
और ...........एक दिन बेटे ने आ कर बोला -'मम्मी! दिल्ली से कोई फोन है.आपसे बात करना चाहते हैं .'
...................................... अपने ब्लॉग और उनके ही लिखे शब्दों का ज़िक्र उनके मुंह से सुन कर मैं चौंकी.
''अज्ञात ...अज्ञात बोल रहे हैं आप?''
''जी अब तक 'अज्ञात' था किन्तु अब नही रहूँगा.मेरा नाम निर्मल गोयल है जी''- हा हा हा एक ठहाका मारते हुए उन्होंने जवाब दिया.
'आप अपनी बेटी के रिश्ते के लिए लड़का ढूंढ रही हैं मैं उसी विषय में बार करना चाहता हूँ 'गोयल साहब ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा.
''मैं गोस्वामीजी को आपसे हुई सब बात बता दूंगी.हमे समय दीजिये वैसे वो अभी छोटी ही है.हमने सोचा दो चार साल तो इसी में निकल जाते हैं इसलिए तलाश शुरू कर दी थी.इनके रिटायरमेंट से पहले चाहते तो हैं कि शादी हो जाए आगे जैसा इश्वर ने निश्चय किया है......''
ब्लॉग की दुनिया से मिला एक और शख्स पद्म सिंह श्रीनेत 'पद्मावली' और फेसबुक पर 'हल्ला बोल ' वाले.एक प्यारा सा इंसान जो धीरे इतना अपना हुआ कि इस जन्म में बेटा है अगले जन्म में मेरे पापा बनेगे.
मैंने पद्म को फोन लगाया.'पद्म! करोल बाग़ के कोई बिजनस पर्सन है.उनके के बेटा है.अप्पू के रिश्ते की बात कर रहे थे .मुझे उनकी 'डिटेल्स' चाहिए.'पद्म ने न सिर्फ उनके कारोबार,परिवार और लडके के बारे में जानकारी भेजी बल्कि फ़ोटोज़ भी खिंच कर भेज दिए.
गोयल साहब करोल बाग़ के नामी गिरामी बिजनेसमेन तो हैं ही एक अच्छे व्यावहारिक व्यक्ति के रूप में दोनों पिता पुत्र को जाना और माना जाता है.
सब जान कर मैंने एक बार इनकार कर दिया.'सर! हम सर्विस क्लास है.ब्लॉग पढना उसका फेन होना अलग बात है और.......रिश्तेदारी अलग.इसलिए ......''
''जब आपका ब्लॉग पढ़ता था.तब सोचता था एक बार आपसे जरुर मिलूँगा.आज इश्वर ने मुझे मौका दिया है कि आपकी बेटी मेरे घर की बहु बने.....मना मत कीजिये.मेरी छोटी बहिन है आप.मैं जब भी वहां आऊँगा अपनी बहन के घर आऊँगा.सम्राट की मम्मी जब भी आएगी वो अपने बेटे के ससुराल नही अपनी ननद के घर आएगी..............''
और........................ मेरे ब्लॉग के एक प्रशंसक मेरे 'वीर जी' बन गये. बिना किसी दहेज के गोयल साहब अपनी अमानत अपने घर ले गये.अपूर्वा मेरी बेटी ...मेरे घर में सिंड्रेला थी ....मुझे नही मालूम था.आज वो एक उद्योगपति घराने की इकलौती बहु है ससुराल में सबकी लाडली
शायद ही किसी को ब्लोगिंग के बदले यह सब मिला हो.जो मुझे मिला.किसी परी-कथा सा लगता है सब कुछ मुझे.
और आपको???? .
हमारा हर कर्म बता देता है कि हम क्या हैं .....? बस यहीं से संबंधों की शुरुआत होती है , और हमारा व्यवहार और कर्म इसमें बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है .....!
ReplyDeleteकहानी सुनना मुझे भी परी कथा सा ही लग रहा है .. इस नए ब्लॉग की पहली पोस्ट इतनी शानदार .. गर्व हुआ कि मैं भी इसी ब्लॉग जगत का हिस्सा हूं .. जहां एक दूसरे को पढकर ही इस हद तक लोग पहचान लेते हैं !!
ReplyDeleteक्या लिखूँ ...आपकी लेखनी में जादू ही ऐसा है :)
ReplyDeleteमें तो बस प्रवाह में बह सा जाता हूँ !
आत्मिक प्रसन्नता हुई अपूर्वा और सम्राट के बारे में जानकर ...
Indu ji,
ReplyDeletepadhkar sab kuchh parikatha jaisa hi lag raha..par bahut achchha laga Apurva ke bare me padhkar ..meri hardik shubhkamnayen apko aur parivar ke sabhi sadasyon ko.....
Hemant
किस्मत के लिखे को कोई नहीं पलट सकता है...वही होता है जो मंज़ूर ए खुदा होता है...
ReplyDeleteसच में ये परी कथा से कम नहीं है....मेरा हमेशा से ये मानना है की हर इन्सान अपनी तक़दीर खुद ही लाता है, हम तो सिर्फ जरिया होते हैं ! आपकी ब्लॉग बहुत ही हृदय स्पर्शी है, "अम्मा जी" एक बात तो है, आपमें क्या जादू है, ये मैं नहीं साझ पा रहा हूँ !
ReplyDeleteलेकिन ईश्वर ने आप में कुछ ऐसा डाल के भेजा है कि आप पत्थर में भी कमल खिला देती हैं ! आपके सानिध्य में आकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई है !
sirf kitabo me padha tha, achchhe logo ke saath achchha hota hai, par viswas nahi tha ( viswas bhi kaise ho, jab khud achchha houn tab to:D)!
ReplyDeletewaise ek baat hai, sirf tum nahi Samrat bhi achchhe honge tabhi to usse pyari se wife mili jo Indu di ki beti hai:)
सच मे ये बात पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। आप बहुत अच्छी किस्मत वाली हैं आंटी!
ReplyDeleteब्लोगिंग ने मुझे भी कुछ गिने चुने बहुत अच्छे दोस्त दिये है।
ऊपर के सभी कमेंट्स मे कही गयी बातों से मैं भी सहमत हूँ।
बहुत बहुत शुभकामनाएँ।
सादर
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है ब्लॉगिंग इस तरह से रिश्ते भी जोड़ सकता है। बधाई हो आपको। मुझे भी पिछले 2 साल से ब्लॉगिंग का बुखार चढ़ा हुआ है, आप लोगों कि तरह लिखना तो आता नहीं लेकिन पढ़ने मे बहुत रुचि है।
ReplyDeleteaapko padhna bahut sahaj lagta hai... zindagi hoti hai ...
ReplyDeletemeri email id rasprabha@gmail.com
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने....
ReplyDeleteआप वाकई बहुत किस्मत वाली हैं. ब्लॉग सचमुच बहुत कुछ देता है, मुझे भी बहुत कुछ दिया इसने. लेकिन एक चीज़ सबसे ऊपर है और वह है हमारा व्यवहार. आपके अच्छे व्यवहार ने ही आपको अच्छे लोगों से मिलाया, अच्छे दोस्त दिए और हम भी आपके व्यवहार के ही चलते आप तक हैं...हैं ना!!!
ReplyDeleteपढ़ कर बहुत अच्छा लगा.ब्लॉग सचमुच बहुत कुछ देता है, मुझे भी बहुत कुछ मिला.आत्म विश्वास के अतिरिक्त बहुत अच्छे दोस्त मिले ,जिन्हे मैने देखा नहीं पर महसूस कर सकती हूँ....आभार...
ReplyDeleteब्लॉग की दुनिया अजब-गजब है। सभी तरह के लोग हैं यहाँ। मुझे भी आप जैसे कुछ अच्छे लोग मिले, जिनके हृदय में स्नेह का अथाह सागर हिलोरें लेता है। मेरा सौभाग्य है कि इस विवाह का साक्षी बना।
ReplyDeleteपरी कथा. बात तो सही है. सचमुच परी कथा ही तो है. इंदू जी आज पहली बार आपका चिट्ठा पढ़ा. जानता तो आपको काफी पहले से ही हूँ हिन्दयुग्म के जरिये.शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबिलकुल एक परी कथा...बहुत रोचक और भावपूर्ण प्रस्तुति..शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteनिशब्द.....???
ReplyDeleteहमेशा स्वस्थ और खुश रहें !
sach me pari katha hi lagi.is pari katha ki pari aur uske raajkumar ko nazar na lage,ishwar un par,aap par aur poore parivar par khushiyon ki barsat karta rahe.aameen.
ReplyDeleteबहुत सुंदर बात कही, बिटिया को हमारा बहुत बहुत आशिर्वाद, सदा सुखी रहे, ओर दामद राजा को भी ढेर सा प्यार, मेरी शुभकामनाऎं!!! हो सके तो इस Word verification को हटा ले, बहुत कठनाई होती हे बार बार भाषा बदलने के लिये...राम राम
ReplyDeleteश्री मटुकनाथ सर का मेल मिला-
ReplyDeletepriya induji
prem
apka mail padhkar bahut aanandit hua. aap bhgyashalini hain. blog ki duniya se jo bhi apko mila hai, wah aap deserve karti hain, lekin sambhavtah iska pata aapko nahi hai . iska praman to main khud hoon ki kitni sahajta se aapne mujhse maitri ka nata bana liya. waise aap mujhe guru manti hain aur main apko mitra hi manta hoon. dinon din is tarah ki uplabdhiyan blog ki duniya se apko milti rahe, meri ashesh shubhkamnayen.
aaap jo kahna chahti thi, usko safalta purvak kaha hai. badhai .
matuk
www.matukjuli.blogspot.com
इसमें कुछ विशेष नहीं है
ReplyDeleteहम जैसे होते हैं
वैसे ही होते मिलते हैं सामने वाले
सब तो जानते हैं हम
फिर भी कहां मानते हैं हम
संसार भरा हुआ है बेहतरीन सज्जनों से
दुर्जन सिर्फ एक होता है
सारे समाज को आज वही खराब करता है
आप देखिए, आप भी एक
अन्ना भी एक
और सब हैं नेक
तो समाज क्यों न हो
अनेक जितने हों सब नेक हों
नेक राह पर चलें
एक चाह पर पलें
हम अच्छे हैं
इसलिए हमें हैं
जीवन में सभी अच्छे मिलें।
बधाई दूं या दूं बिटिया को आशीर्वाद
आशीर्वाद खुश रहने का
सबको खुश करने का
हंसने का, हंसाने का
हंसने में नहीं लजाने का
मिलते ही जफ्फी पाने का
सुर आपसे मिला है
मन उपवन का प्रत्येक
फूल खिला है।
bahut hi achcha laga parhkar .......... naman aap dono ko
ReplyDeleteआप सचमुच बहुत भाग्यशाली है , आपके शब्द ही आपको समझने को काफी है किसी भी अज्ञात को ऐसा करने पर विवश कर देंगे ,रिश्ते खून के नहीं शब्दो से बनते है जो हम बोलते है उसी आधार पर उनकी मजबूती बनती जाती है यह आपने सिद्ध कर दिया , बहुत बधाई
ReplyDeleteBahut sunder ..bitiya ko aashirwaad ..
ReplyDeleteरोचक प्रकरण! एक बार फिर सिद्ध हुआ कि सच्चाई की रोशनी वहाँ तक पहुँचती है जहाँ की हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
ReplyDeletedin beetate samay nahi lagta...:)
ReplyDeletehai na didiya!!
रोचक प्रसंग के साथ बहुत कुछ बताती भी है यह घटना....आपसे भी अच्छा काम गोयलजी ने किया ! आप तो ऐसीच हो...हा..हा...हा...!आप भी ऐसी कोई नज़ीर पेश करें !
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebahut hi achcha laga parhkar .......... naman aap dono ko. khushi hue apke blog par aaker.
ReplyDeleteaapko samay mile to mera blog bhi dekhiyega.
http://neelamkahsaas.blogspot.com/2011/07/blog-post.html
'कहीं तो ये दिल कहीं मिल नही पाते,कहीं से निकल आये जन्मों के नाते '..vaastav main saarthak ho gayin ye panktiyaan. meri aur se dheron ashish aur shubhkamnayen aapki beti aur damaad ji ke liye.
ReplyDeleteअच्छे लोगों को अच्छाई ही मिलती है ... कहीं न कहीं तो ऊपर वाला भी हिसाब रखता ही है ...
ReplyDeleteपढ़ आकर बहुत अच्छा लगा ... मिल कर बहुत अच्छा लगा दोनों से ... मेरी शुभकामनाएं हैं दोनों को ...
और हमें आप मिलीं :):)
ReplyDeleteहेलो ब्लॉग भैया !आपके पेट में किस बात का दुःख रहा है ?क्यों लोगो के व्यूज़ को पोस्ट नही कर रहे हो?शिखाजी अभी तुम्हारी शिकायत कर रही थी.
ReplyDeleteबहुत बार,
ReplyDeleteनहीं बोलना अधिक अच्छा लगता है, जैसे जो कुछ घट रहा है उसका हिस्सा होने का प्रयास कर रहे हैं, चुपके से,
रोजाना पचास से साठ ब्लॉग टटोलता हूं, एक या दो पर टिप्पणी, बस बाकी प्रवाह के साथ बहता चला जाता हूं।
आपके ब्लॉग पर भी पढ़ना और उसके बाद बैठकर सोचना अधिक सुभीता लगता है।
इसके बावजूद कई बार टिप्पणियां कर चुका हूं।
हकीकत में मुझे टिप्पणी करना रुचता ही नहीं है। क्योंकि मेरा अनुभव रहा कि टिप्पणियां आपकी भावना को पकड़ने के बजाय उपस्थिति दर्शाती हुई अधिक होती है।
खैर, इस पर पहले जोरदार बहस हो चुकी है और अब शांति से बस पढ़ने की कोशिश करता हूं।
:) :) :) :) :) :) :) :) :) :)
जो लोग जानते हैं कि मैं उनका लिखा पढ़ता हूं, वे लोग जानते हैं कि मैं उन्हें पढ़ता रहा हूं। :)
Rishte upar se ban ke aate hai
ReplyDeleteprithvi me unke milne k madyam ki jarurat hai
iswar didi jija ko humesha khush rakhe
waah !! blog ke madhyam se aapse ek rishta jud gaya .... aap bahut sahjta se apne vichar apni lekhini ke madhyan se kah deti hain ... bahut shubhkamnayen aapko !!!
ReplyDeletekyu nahi woh aapaki beti bahut nasib wali hai kyunki wo aapaki beti hai jo itani pyari mummy ki beti hai...............
ReplyDeletebeing a nice person you deserve to be so lucky...
ReplyDeleteरोचक
ReplyDeleteशुभकामनाएं
मनुष्य का भाग्य सिर्फ भाग्य नहीं है जो ब्लॉग या फेसबुक पर लोगिन किया और दोस्त मिल गए
ReplyDeleteयह पूर्व के कर्मों का , आपकी सभी के प्रति सार्थक और शुभत्व से भरी सोच का , मनुष्यता के प्रति समानता का व्यव्हार ,सच्चाई से हमेशा जुड़े रहना , झूठ मिथ्या से दूर रहना ,तथा इश्वर (कृष्ण) के प्रति अगाध श्रद्धा , यह सब बातें मिलकर सांसारिक शुभ संस्कार एवं परिस्थितियों का निर्माण करते हैं .इसलिए आपको अच्छे अनुभव हैं .
जैसा करनी वैसा भरनी
ReplyDeleteSamrat aur Apurva the story is absolutely...
ReplyDeleteRajesh Kumar Maheshwari 5:17pm May 6
Samrat aur Apurva the story is absolutely unbelievable abs Filmi sort of bt ' It happens' nhappens to good ppl only'
FB pr rajesh kumar sir ne apne comment diye the.
इंदु दीदी ...आपकी हर पोस्ट दिल के करीब होती हैं ...ठीक जैसे माँ अपने बच्चो को प्यार करती हैं ...वैसे ही आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद महसूस होता हैं ...इतने सच्चे दिल की स्वामिनी को सब कुछ मिलना ही चाहिए.....
ReplyDeleteBahut khubsurat. Aaapki kalam mein rachatamkta hai aur abhivyakti itni sundar ki voh pathak ko bandh kar rakhti hai.
ReplyDeleteRajeev
मेरे घर में सिंड्रेला !
ReplyDeleteInteresting reading..
ReplyDeleteDr Makhan Lal Das
drmakhanlaldas.blogspot.in
Really great !!!!
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