मेरी,आपकी, हमारी सभी की बेटियों की तरह ...
नाम ..? कुछ भी हो सकता है,
क्या नाम बताउं उसका ? कुछ भी रख दीजिए ,बेटी तो बस बेटी होती है.अच्छी,बुरी, आँखे गर्व से ऊँची कर देने वाली या...? या भटकी हुई, पर होती है बेटी ही.
वो भी ऐसी ही किसी दीए-सी, मासूम 'चिरैया' सी बेटी थी .
बड़ी हुई, भूरे घने लम्बे लम्बे बाल, उजला रंग,छोटी पर चमकती आँखें, भरे भरे होठ गुलाबी गुलाबी .....
बाप निकम्मा, पर बच्चे पूरे छः .
क्या खाएँगे?क्या पिएंगे ?कैसे पढेंगे लिखेंगे ? इनका भविष्य का क्या होगा ? ये टेंशन उसे नही थी.
माँ कहाँ और किसके भरोसे छोड़ देती ? बड़े हो गए बच्चे जैसे आम तौर पर ऐसे बच्चे बड़े होते हैं, बच्चे सारे 'इंटेलिजेंट'. पर ......
'वो' सब भाई बहिनों मे ज़हीन , हर फिल्ड की मास्टर.
जवान हुई ,शायद उसने भी सपने देखे हों, पर....पर उसे लेने कोई राजकुमार नही आया, किसी 'सम्पन्न' परिवार की-सी दिखने वाली 'उसका' ब्याह भी हुआ तो एक अधेड़ से, ससुर जैसा लगता , चपरासी था कहीं ...
समय ,परिस्थितियों से समझोता कर लिया उसने.
दो बच्चों की माँ भी बन गई ,पढाई जारी रखी किसी विरोध के आगे नही झुकी, मुझे अपने बच्चों का भविष्य बनाना है ..बस एक ही लगन ,जिद या लक्ष्य कुछ भी कह लीजिए थी उसकी .
बी. एड .कर रही थी, फाईनल लेसन के कुछ ही दिन पहले ........
जिंदगी से, दुखों से, तकलीफों से जिसने बचपन से दो दो हाथ किए उसे किस बात ने तोड़ दिया, क्या परिस्थितियाँ रही होगी आज तक नही मालूम हुआ.
मगर .....अपने आप को उसने आग के हवाले कर दिया.
बच्चों का मोह भी उसे नही रोक पाया .
''तुने ये क्यों किया ?''
'बस दीदी ! गुस्सा आ गया था. '
''नही तु ऐसा नही कर सकती, क्या उसने जलाया है ? ''
चुप्पी ..एकदम सन्नाटा ....न हां न ना .
''ऐसा कैसा गुस्सा? अपने बच्चों के बारे मे भी नही सोचा तुने''
शायद हर जान देने की कोशिश करनेवाला व्यक्ति बाद मे पछताता भी है ,जीना भी चाहता है.उसने भी कहा - ''दीदी! मैं मरना नही चाहती,मुझे बचा लो .मेरे बच्चो का क्या होगा ?....कुछ समय बाद तो मेरी नौकरी लग ही जाएगी ,दोनों बच्चो को सारे सुख दूंगी ,खूब अच्छा खिलाऊंगी पिलाऊंगी,अच्छे अच्छे कपडे पहनाऊँगी, पढ़ाऊंगी लिखाऊंगी, ऑफिसर बनाऊँगी और एक दिन दोनों की शादी करूंगी.
हर एक नारी से
ReplyDeleteविनम्रता पूर्व अनुरोदन है की
दूसरों को हराने केलिए
आग को गले न लगाईये
Bada hi maarmik citran prastut kiya hai aapne. Shabda maano sajeev ho uthe the. Mai 1-1 drishya mano dekh raha tha, wo sadandh tak mehsoos ki ward ki.
ReplyDeleteAankhen bhar aayin......