( फोटो में ...........मयूरी और दामाद जी )सुबह सुबह दो तीन ब्लोग्स पर गई ,सब जगह 'मन उदास है' लिखा हुआ पढा .
बाबा रे! मन ना हो गया 'देवदास' हो गया .
अब इस 'देवदास को सुख या दुःख की कितनी मदिरा पीने देनी है ये तो हम को मालूम होना चाहिए ना ? 'चन्द्रमुखी' बनके सख्त न हुए, मनमानी करने देंगे तो खुद तो डूबेगा हमें भी कहीं का ना छोड़ेगा .
हा हा हा
अब अपनी तो जीने की स्टाईल यही है .
स्साले सुख हो या दुःख ? सुख को खूब इंजॉय करते हैं और दुःख को ?
हावी नही होने देते अपने पर. कई बार ऐसा हुआ जब 'हिल कर' रह गई ,पर...........
ऐसा कोई दुःख है जो बिजली बन हमीं पर टूट पड़ा हो और हम से पहले किसी ने उसे फेस न किया ?
नही, वो हमसे पहले कईयों को आजमा चूका होता है
क्या किया लोगों ने ऐसे में ?
दो तरह के उदाहरण मिले .एक जब उस स्थिति में व्यक्ति ने पलायन का रास्ता चुना .
दूसरा जब उसने उसी दुर्भाग्यपूर्ण या बुरी स्थिति का बहादुरों की तरह सामना किया .
एक ने मौत का रास्ता चुना ,बाद के सुख देखने को रहा ही नही.
दूसरे ने सामना किया और वो पल बीत गए .
मैंने हमेशा ऐसे समय में दूसरा रास्ता चुना और उस व्यक्ति को, उस घड़ी को, अपना 'रोल मोडल' बना लिया .
हा हा हा
और बता दिया जिंदगी को, उस परिस्थिति को कि तेरा सामना 'इंदु पुरी' से हुआ है जो अपने पापा और ईश्वर की लाडली बेटी है और अपने बाप को कभी शर्मिंदा नही होने देगी कि उन्होंने एक कायर को जन्म दिया था.
अरे ! ऐसे जियेंगे न कि जब जायेंगे तो अपने ' दोनों बाप ' कहेंगे -'ओ ! मेरा लाडला बेटा आ गया तू?' और पास बुला कर पीठ थपथपाएगा .
हर व्यक्ति गांधी,मदर टेरेसा नही बन सकता पर एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश तो कर ही सकता है न ? और 'कायर' कैसे अच्छे इंसान हो सकते हैं? वो तो कायर ही होते हैं.
इन सब को फेस करने के लिए सबसे पहले उदास, रोवने गाने सुनना बंद कर दीजिए .
ये आपको डिप्रेशन की स्थिति में पंहुचा सकते हैं .
और......................
छह सात साल पहले मेरे इकलौते जवान भतीजे की अचानक मृत्यु हो गई ,
हट्टाकट्टा ,गोरा चिट्टा ,स्मार्ट,डेशिंग पर्सनालिटी ,छब्बीस साल का,चित्तोड शहर मे उस जैसा देखने को नही मिलता .भीड़ में दूर से अलग दीखता था,इतना प्यारा .
शादीशुदा एक बेटे का पिता. बिजली गिर पड़ी .पर..................
बारह दिन बाद भाभी की बहिन ,जीजाजी,इकलौता दामाद,भांजी और उनके कुछ रिश्तेदार 'अंकलेश्वर' लौट रहे थे .
रास्ते में अचानक भयानक दुर्घटना हुई, उनकी गाड़ी बस से जा भिडी. तीन व्यक्तियों की घटना स्थल पर ही मौत हो गई .तीनों -भाभी की बहिन के देवर,ननदोई और स्वयम बहिन की ... और जीजाजी ,दामाद, भांजी, ड्राईवर बुरी तरह घायल हो गये कोई भी होश में नही था. भांजी मयूरी को जब होश आया उसने सबको लहुलुहान हालत में देखा, माँ आँखों के सामने अंतिम साँसे ले रही थी. मोबाइल छिटक कर दूर जा चुके थे, रहे सहे मदद के नाम पर आये लोगों ऩे ......
अपने पापा की जेब से सेल फोन निकाल कर उसने इमरजेंसी सर्विस के लिए उपलब्ध एम्बुलेंस सर्विसेज़ को फोन लगाया, सब घायलों की जेबों में से केश,क्रेडिट कार्ड, ए.टी .एम.कार्ड्स,घडियां ,जेवर निकाल कर अपने पर्स मे डाले. जरा सी देर देख कर उसने लोगों से मदद मांगी और उसी शहर -अहमदनगर था शायद-के हॉस्पिटल में सबको पहुँचाया. इस बीच उसने भाभी को और अपने रिश्तेदारों को भी फोन लगाया .
माँ की की 'बोडी' उसी हॉस्पिटल में छोड़ तुरंत सभी को ले के 'साल' होस्पिटल पहुंची.
उसके खुद के हाथ और कोलर बोन में फ्रेक्चर था .
सभी को तुरंत भर्ती कराया और इलाज चालू कराया .
उसकी हिम्मत से उसके पापा ,जीजाजी, एक चाचा , एक फूफा और ड्राईवर की जान बच गई .मयूरी -जो बीस इक्कीस साल की बच्ची ही थी अपने पापा के ओपरेशन के जस्ट बाद में थियेटर से निकलते ही पूछने पर कि ' तेरी मम्मी कैसी है ?'
मुस्करा कर कह रही थी -' पापा ! थेंक गोड , आप लोगों को ज्यादा चोट नही आई,मम्मी के तो जरा सी लगी है .
उस वक्त उसकी मम्मी का पोस्ट मार्टम चल रहा था.
हम जब उसके पास पहुंचे ,वो अपने छोटे भाई को समझा रही थी बार बार -'देख ! अपनी मम्मी की इतनी ही उम्र थी,हमारा चेहरा देख कर हमारे पापा समझ जायेंगे.वो भी मर जायेंगे. चुप. एकदम नोर्मल रह.'फेस' तो अपन को करना ही है न, तू तो बहादूर है मेरा भाई ?'
हम दंग रह गये उस बच्ची की हिम्मत देख कर .
होस्पिटल से सीधे हम अंकलेश्वर पहुंचे.
तीनो का अंतिम संस्कार किया. तुरंत 'साल' होस्पिटल पहुंचे जहाँ तीन अलग़ अलग़ मंजिलों पर छः घायल भर्ती थे . मयूरी अपने पापा के सामने जा कर फिर मुस्करा रही थी -''आप अपना ध्यान रखिये.मैं हूँ ना मम्मी के पास .एक दो दिन में उनको आपके पास ला कर मिला दूंगी,वो बहुत घबरा गई है आपको इस हाल में देखेगी तो............''
मयूरी के पापा ,मेरी भतीजी के पति एक साल तक बेड पर रहे .पर....मयूरी?
जीना और बहादुरी से जीना सिखाते हैं ऐसे लोग .
कहते हैं औरतें रो रो कर माहौल को और गमगीन कर देती है आदमियों को 'कच्चा पटक' देती है, कमजोर कर देती है.
पर क्या कहेंगे इसे?
इस बच्ची के लिए ?
मैंने उसे गले लगा कर प्यार किया और इतना ही कह पाई -'हमें गर्व तुम पर है, तुम्हारी हिम्मत पर !'
ये जीवन है. ये हम पर है हम कैसे जीते और कैसे उसका सामना करते हैं?
कुछ कहना चाहेंगे आप ?
jindagi apna krur chehra dikhati rahti hai... par jeene wale to wo hi hain, jo isko khushi se gale lagate hain... aur fir sirf khushiyan bant te hain... aisee hai meri indu di..:)
ReplyDeleteasich hai ........:D
जिंदगी में एक मिसाल कायम की है आपकी मयूरी ने ...नमन हैं उसकी हिम्मत को
ReplyDeleteजिंदगी में एक मिसाल कायम की है आपकी मयूरी ने ...नमन हैं उसकी हिम्मत को
ReplyDeleteBahut Khub hai Apni Mayuri,Jitna kahe kam hai or aap ke lekhan ki bhi Daad deni padgi...
ReplyDeleteविपरीत परिस्थितियों में जो धैर्य और हिम्मत दिखाते हैं वे ही जिंदगी के सिकंदर कहलाते हैं । मयूरी को सैल्यूट , उसने बहुतों को एक प्रेरणा दी है ।
ReplyDeleteहमारी तरफ़ से सुंदर जीवन के लिए मयूरी को बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
प्रेरक संस्मरण ..
ReplyDeleteदुख की घडियों में हिम्मत रखनी ही चाहिए .
.
पर सब नहीं रख पाते ..
मयूरी ने बहुत बहादुरी का काम किया ..
उसे बहुत बहुत स्नेह और आशीष !!
हिम्मत-ए-मर्दां की बजाय
ReplyDeleteअब कहना पड़ेगा
हिम्मते औरतां
मदद-ए-खुदा.
सार्थक पोस्ट...
ReplyDeleteइतना ही कहना चाहूँगा ... ये सच है की हर कोई गांधी, मदर टेरेसा नहीं बन सकता .... पर मयूरी तो बन सकता है ... जिंदादिली की जीती जागती मिसाल ... आशा और स्फूर्ति जगाती हैं ऐसे सुपात्रों की जीवित घटनाएं ...
ReplyDeleteहम क्या कहना चाहेंगे,जी ? जिसके ऊपर बीतती है,जानता व भोगता वही है. दुःख किसी और पर आवे तो हम धीरज धरने का उपदेश तो देते हैं,पर जब अपने ऊपर ऐसी विपत्ति आती है तो दिमाग सोचना बंद कर देता है.
ReplyDeleteऐसे में जो अपने को सामान्य रख पाए वह 'सामान्य' इंसान तो नहीं है.मयूरी बेटे ने जो हिम्मत दिखाई,उसकी मिसाल मुश्किल है.
ईश्वर ,कभी बहादुरों के साथ धोखा नहीं करता है !
मयूरी की हिम्मत और जज्बे को और आप के लेखन को बहुत-बहुत सलाम .....
ReplyDeleteऐसे ही बच्चे-बच्चियों से मिसाल कायम होती है ..
जो मयूरी ने कर दिखाई !
आशीर्वाद!
मयूरी हमें आप पर नाज है !
ReplyDeleteमाँ सा,
ReplyDeleteआई लव यू.
आपको तो पता है, पहली गर्ल फ्रैंड (माँ) ने डिच कर दिया है, दूसरी (ज़िंदगी) नाराज़ चल रही है, तीसरी के ब्लॉग पर कमेन्ट लिख ही रहा हूँ. और हां, अब धीरे-धीरे नयी संभावनाओं से फ्लर्ट करना शुरू कर दिया है..... हा हा हा!!!
शायद लिखना भी शुरू कर दूं जल्द ही,
द ओनली ट्रुथ अबाउट लाईफ़ इज़ डैथ. है ना, माँ सा?
गोस्वामी जी को राम राम.
आशीष
फेसबुक पर विकास जी ने कुछ यूँ अपने व्यूज़ दिए
ReplyDeleteVilas Dolke 'bilkul didi par mai to mayuri ki himmat dekhkar dang raha gaya wakai itni himmat kaha sai a gayi bapre . she is great didi'
मयूरी की शक्ति को प्रणाम......उसके मनोबल को प्रणाम....उसके धैर्य और समझ को नमन....कहते हैं..इश्वर ने..सूझ दुःख ..हर किसी के हिस्सेमें नाप तौल कर बराबर बराबर डालें है...मयूरी के आगामी जीवन में ..अब सिर्फ खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी.....यही शुभकामना है
ReplyDeleteइंदु दी..मयूरी आपकी ही भतीजी है न..उसे ये शक्ति नैसर्गिक रूप से मिली है...अभिवादन ...
मयूरी सचमुच साहस और समझदारी की एक अनूठी मिसाल है। ऐसी भावनात्मक परिपक्वता भारत में कम ही देखने को मिलती है। यह दास्ताँ शेयर करने के लिये आपका आभार और नवदम्पति को आशीर्वाद!
ReplyDeleteइंदु परी आंटी ,आपकी मयूरी की हिम्मत को देखकर बहुत अच्छा लगा.....उनके जीवन के लिए बहुत शुभकामनाएं .....सार्थक पोस्ट.
ReplyDeleteआपकी कलम घिस्सी.
सलाम हैं मयूरी कि हिम्मत को ईश्वर किसी को भी ऐसी भयावह समय ना दिखाए,
ReplyDeleteसलाम मयूरी कि हिम्मत को इंदु जी...
'हमें गर्व तुम पर है, तुम्हारी हिम्मत पर !'
ReplyDeleteमयूरी की हिम्मत और ज़ज्बे को सलाम!
ReplyDeleteहर व्यक्ति गांधी,मदर टेरेसा नही बन सकता पर एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश तो कर ही सकता है न ?
ReplyDelete'हमें गर्व तुम पर है, तुम्हारी हिम्मत पर !' 'मयूरी'
विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और हिम्मत दिखाते हुए ,जिंदगी में एक मिसाल कायम की है आपकी मयूरी ने ...नमन हैं उसकी हिम्मत को...
ReplyDeletetabhi to istri ki bhoomi se tulna ki gai hai dheer dharan karte hui jo gya uski tees man me rakh jo hai unko sahjne me drinsankalpa si adh jati hai mushiklo k samne chttan si..shabash hai aisi saahsi balika ko***
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