indu puri has left a new comment on your post "मंदिर चला जाए": @डॉ गुप्त साहब!
थेंक्स सर ! आप मेरे ब्लॉग पर आये मुझे बहुत अच्छा लगा.सबको लगता है ......मुझे भी.
वाह वाही अच्छा लिखने को प्रेरित करती है तो स्वस्थ आलोचना में लेखक की कलम को धार देने की क्षमता होती है.
मुझे आपसे मार्ग दर्शन चाहिए.खुद की लेखनी में सुधार कर सकूं.इसलिए खरी खरी कहते हुए मेरे ब्लॉग पर न हिचकिचाइयेगा.
मैं आलोचनाओं को सर आँखों पर लगाती हूँ और और दिमाग में रखती हूँ
क्या करूं?ऐसिच हूँ.
थेंक्स अगेन Posted by indu puri to उद्धवजी at 17 April 2012 02:55
थेंक्स सर ! आप मेरे ब्लॉग पर आये मुझे बहुत अच्छा लगा.सबको लगता है ......मुझे भी.
वाह वाही अच्छा लिखने को प्रेरित करती है तो स्वस्थ आलोचना में लेखक की कलम को धार देने की क्षमता होती है.
मुझे आपसे मार्ग दर्शन चाहिए.खुद की लेखनी में सुधार कर सकूं.इसलिए खरी खरी कहते हुए मेरे ब्लॉग पर न हिचकिचाइयेगा.
मैं आलोचनाओं को सर आँखों पर लगाती हूँ और और दिमाग में रखती हूँ
क्या करूं?ऐसिच हूँ.
थेंक्स अगेन Posted by indu puri to उद्धवजी at 17 April 2012 02:55
http://abolishsan.org/forum/index.php?action=post;topic=423370.0;num_replies=0
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