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Monday 3 June 2013

और वो चली गई

                                                                             

बचपन से गानों की बहुत शौक़ीन हूँ . पिछले दिनों फेसबुक पर क्या गई .......ढेरों म्यूजिकल ग्रुप्स से जुडती चली गई . एक से बढकर एक गीत,भजन,ग़ज़ल्स,कलाम,नात,कव्वालियाँ  मिलती गई  और मैं उनमे डूबती चली गई। फेसबुक पर अगले दिन ढूंढो तो पोस्ट्स ढूंढें से नही मिलती . मेरा कोई खास गीत खो न जाये इसीलिए ज्यादा समय इसी में बीत जाता।

कुछ बहुत अच्छे मित्र भी मिले. खट्टे मीठे अनुभव भी।

 आज अचानक  वो लडकी याद आ गई ..... जिसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट मुझे मिली . उसकी प्रोफाइल खोलकर देखी।ऐसा कुछ नही था उसमे कि मैं उसकी दोस्ती के प्रस्ताव को  स्वीकार नही करती। पर ...  मैंने उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट को  पेंडिंग छोड़ दिया     जाने क्योँ !!!

उसके मेसेज आने लगे . बहुत अदब से बात करती। अपने बारे में भी बताती यही कि  इंजिनियरिंग  कर रही  है। अच्छे परिवार से है .

'माँ ' बुलाने लगी थी वो। दो चार दिन में उसका मेसेज आ जाता या वो चेट करने आ पहुँचती।

लगभग साल भर बाद एक दिन अचानक बोली - 'माँ ! आपसे एक बात कहूँ?'

'हाँ बोलो '- मैंने कहा

'मैं अच्छी लडकी नही हूँ।मैंने आपसे झूठ बोला  अपने बारे में. मुझे ब्लोक कर दिजिये. आप नही जानती मैं कौन हूँ?? आपकी पोस्ट्स आपके शेअर किये गाने ......आपके कमेंट्स पढ़ती  थी। सोचा दोस्ती कर लूँ . मेरी एक फ्रेंड ने बताया कि  आपको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने से पहले मैं अपनी टाइम लाइन 'साफ़' कर लूँ ......मैंने वही किया. वहाँ कुछ भी 'odd' देखने पर आप मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नही करती न शायद ....इसलिए ....ये सच है मेरी फेमिली बहुत अच्छी है. पापा मम्मी भैया सब वेल एजुकेटेड हैं . 'यहाँ' पढने आई . 'इस' शहर मे…और गलत सोहबत में पड़  गई मै ......... '  वो चेट -बॉक्स में लिखती जा रही थी।

'तुम जो हो जैसी हो… ईमानदार हो.  मुझ से तुमने कभी ऐसी कोई बात नही करी जिससे मैं 'uncomfort 'फ़ील करती। इसलिए मैं तुम्हे ब्लोक क्यों करूं??? अच्छी बच्ची हो.  शायद भटक गई हो……। एहसास है तुम्हे इसका इसलिए उम्मीद करती हूँ … एक दिन  ये अच्छी बच्ची वापस लौट आयगी' मैंने वापस उत्तर  लिखा।

वो शायद उस तरफ़ रो रही थी . उसके शब्दों में छुपे  आंसुओं की नमी को मैं महसूस कर  रही थी।

' माँ ! मैं जा रही हूँ। अब उसी दिन आउंगी जब आप मेरी दोस्ती और मुझ पर गर्व कर सको। आपको 'अन्फ्रेंड ' कर रही हूँ .....अपना ख्याल रखना। दवाइयां  समय पर लेते रहना ' वो हमारी अंतिम बातचीत थी।

और वो चली गई।  फेसबुक पर सभी तो बुरे,गंदे या झूठे नही हैं ! .... अच्छे लोगों की भी कोई कमी नही यहाँ।
जाने क्यों मुझे 'वो' बड़ी प्यारी लगी .....जानती हूँ एक दिन आएगी और मुझे फिर आवाज़ देगी 'माँ ! देखो मैं आ गई।
पर .......अपनी कल्पनाओं में मुझे उसका चेहरा नही दिखता .......दूर जाती हुई की पीठ देखती हूँ .

                                                                                       



      

5 comments:

  1. "Di" RadhayRadhay. aap hai hi aisi --jaise koi apne aekant m apne se hi baat kar raha ho or aasani se uska hal mil jay apne hi aekant se, uspe turra yeh ki nitant apnepan ki anubhuti usi aekant se.Tab aisa aekant kise nahi suhayega uske sujhav ya manuhar kyu nahi mane jange---galtia koun nahi karta bus disha milte hi sahjata,saharshta se use sudharne wale kuch ek hi hote hai woh bhi unme se 1 hai tabhi to sahi rasta chalne ki thani suhridya n***

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  2. pyari Anju! kya bolun! tumhara aana......pdhna.views dena achchha to lga hi.....aur...thanx kahungi ishwar ko jinhone itne achchhe logon se mujhe milaya aur jinhone mere prem ka samman kiya.
    aur haan...wo ek din jrur aayegi.:)
    jeeti rho

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  3. इंदु माँ ...आप ग्रेट हो :)

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  4. फेसबुक पर आपके साल भर के साथ और चैटिंग ने ही शायद उसे इतनी हिम्मत दी कि वह आपके सामने सच कबूल कर सके ! पूरा विश्वास है कि आपसे मिला प्यार और विश्वास उसे ज़रूर बदल रहा है तभी वह झूठ के इस मुखौटे के साथ आपके साथ और आगे चलने में असहज महसूस करने लगी ! जल्दी ही जब अपने इस मुखौटे का बोझ वह नहीं सह पायेगी इसे उतार परे हटा कर वह ज़रूर लौट आयेगी !

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