indu puri has left a new comment on your post "एक प्रश्न उधो!": @neeraj trivedi
कौन हो बाबु? आँखें मूँद कर दो पल के लिए वहीँ आ कर बैठ जाओ जहां मेरे कृष्णा ने हाथ पकड़ कर मुझे बिठा लिया था.
हमारी बातें सुनो और बोल दो ......शब्दों की कमी नही रहेगी.
यूँ कितना कुछ तो बोल गये हो तुम बातूनी !और कहते हो 'शब्द नही मिल रहे'
अच्छा लगा तुम्हारा आना.
आना 'आरती' पढना .
खुश रहो Posted by indu puri to उद्धवजी at 24 November 2011 03:28
कौन हो बाबु? आँखें मूँद कर दो पल के लिए वहीँ आ कर बैठ जाओ जहां मेरे कृष्णा ने हाथ पकड़ कर मुझे बिठा लिया था.
हमारी बातें सुनो और बोल दो ......शब्दों की कमी नही रहेगी.
यूँ कितना कुछ तो बोल गये हो तुम बातूनी !और कहते हो 'शब्द नही मिल रहे'
अच्छा लगा तुम्हारा आना.
आना 'आरती' पढना .
खुश रहो Posted by indu puri to उद्धवजी at 24 November 2011 03:28
आप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
ReplyDeleteइतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
ऊधौ कौन देश को वासी ..........अच्छी रचना ,जहां सगुण सौन्दर्य मन पे छाया हो वहां निर्गुण ब्रह्म क्या भाड़ झौंकेगें ?
ReplyDeleteKai baar kuch kahne ke liya jyaada shabdon ki jaroorat nahi hoti .... Kuch shabd hi Bahut door tak kheenck ke le jaate hain ...
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